बंगलोर के एक पॉश इलाके व्हाइटफ़ील्ड में स्थित सौख्य इंटरनेशनल होलिस्टिक सेंटर में एक वीआईपी मरीज का आयुर्वेदिक इलाज किया जा रहा है, उसे फ़ाइव स्टार श्रेणी की “पंचकर्म चिकित्सा” सुविधा दी जा रही है, ताकि वह जल्द से जल्द स्वस्थ हो सके। यह चिकित्सा उसे माननीय-माननीय (108 बार और जोड़ें) सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुरूप प्रदान की जा रही है। यह वीआईपी मरीज कोई और नहीं, बल्कि कोयम्बटूर एवं बंगलोर बम धमाकों का प्रमुख आरोपी अब्दुल नासेर मदनी है। उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) ने अब्दुल नासेर मदनी के लश्कर से सम्बन्धों की बात स्वीकार की है और जाँच जारी है, परन्तु इस आतंकवादी को बंगलोर के निकट पाँच सितारा स्पा सेण्टर में इलाज दिया जा रहा है, क्योंकि भारत एक “सेकुलर” देश है। ज़ाहिर है कि अब्दुल नासेर मदनी के 26 दिन के इस आयुर्वेदिक कोर्स का लगभग दस लाख का खर्च भारत के ईमानदार करदाताओं की जेब से ही जाएगा। (चित्र में मदनी का आलीशान सुईट)
सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के तहत अब्दुल नासेर मदनी को 7 जून को इस स्पा केन्द्र में भरती किया गया है, क्योंकि “मदनी बचाओ समिति” नाम की “सुपर-सेकुलर संस्था” ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष याचिका दायर करके बताया कि फ़िलहाल व्हील चेयर पर जीवन बिता रहे अब्दुल मदनी को डायबिटीज़, पीठ दर्द एवं न्यूराइटिस (तलवों में जलन) की वजह से चिकित्सा सहायता मुहैया करवाना आवश्यक है। कर्नाटक पुलिस अपना मन मसोसकर और खून जलाकर अब्दुल नासेर मदनी की सेवा में पाँच पुलिस वालों को दिन-रात लगाए हुए है, सोचिये कि पुलिसवालों की मनःस्थिति पर क्या गुज़रती होगी?
साध्वी प्रज्ञा भी मालेगाँव बम धमाकों के सिलसिले में मुम्बई पुलिस की हिरासत में हैं, उनके साथ जो सलूक हो रहा है वह आप यहाँ पढ़ सकते हैं (Sadhvi Pragya Hindu Terrorist??), परन्तु अब्दुल मदनी के इलाज की इस “सेकुलर” घटना से सबसे पहला सवाल तो यही खड़ा होता है कि क्या किसी आतंकवादी को इस प्रकार की पंचकर्म चिकित्सा दी जानी चाहिए? और चलो मान लो कि “गाँधीवादी नपुंसक इंजेक्शन” की वजह से “सेकुलर भारतवासी” इस आतंकवादी के अच्छे स्वास्थ्य की कामना कर भी लें तब भी इसका खर्च हमें क्यों उठाना चाहिए? सुप्रीम कोर्ट को यह निर्देश देना चाहिए था कि मदनी के इस इलाज का पूरा खर्च उसे और उसकी संस्थाओं को दुबई एवं केरल के मदरसों से मिलने वाले चन्दे से वसूला जाए।
एक रिटायर्ड पुलिस अधिकारी ने अपनी व्यथा ज़ाहिर करते हुए कहा कि “क्या पूरे देश के लाखों कैदियों में सिर्फ़ अब्दुल मदनी ही इन बीमारियों से पीड़ित है? फ़िर सिर्फ़ अकेले उसी को यह विशेष सुविधा क्यों दी जा रही है?”, परन्तु ऐसे सवाल पूछना बेकार है क्योंकि माननीय सुप्रीम कोर्ट ने ही आदेश दिया है और मदनी को बचाने वाली संस्थाएं “सेकुलर” मानी जाती हैं, और वोट बैंक की इस “घृणित” राजनीति के कारण ही 2006 में केरल विधानसभा (जहाँ सिर्फ़ कांग्रेस और वामपंथी हैं) ने सर्वानुमति से एक प्रस्ताव पारित करके अब्दुल नासेर मदनी को रिहा करने की माँग की थी, और जब स्वयं प्रधानमंत्री भी हमें चेता चुके हैं कि संसाधनों पर पहला हक मुस्लिमों का है तो हमें स्वीकार कर लेना चाहिए…
अफ़ज़ल गुरु हो या अजमल कसाब, भारत सरकार से वीआईपी ट्रीटमेण्ट लेना उनका “पैदाइशी अधिकार” है। वैसे तो “सेकुलरिज़्म” अपने-आप में ही एक घटिया चीज है, लेकिन जब वह कांग्रेस और वामपंथियों के हाथ होती है, तब वह घृणित और बदबूदार हो जाती है… भाजपा भी उसी रास्ते पर चलने की कोशिश कर रही है। ऐसे में “राष्ट्रवादी तत्व” अपना सिर पटकने के लिये अभिशप्त हैं, जबकि “सिर्फ़ मैं और मेरा परिवार” मानसिकता के अधिसंख्य अज्ञानी हिन्दू पैसा कमाने और टैक्स चुकाने में मशगूल हैं, ताकि उस टैक्स के पैसों का ऐसा “सदुपयोग” हो सके…।
(सुप्रीम कोर्ट पर कोई भी टिप्पणी करते समय कृपया “माननीय X 108” शब्द का उपयोग अवश्य करें…)
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अब थोड़ा सा विषयांतर :
चलते-चलते :- बाबा रामदेव के आंदोलन को असफ़ल करने में एक प्रमुख भूमिका निभाने वाले अण्णा हजारे का एक रूप यह भी है, नीचे दी गई लिंक देखें… गाँधीवादी अण्णा, गैर-मराठियों को बाहर करने के मुद्दे पर राज ठाकरे का समर्थन कर रहे हैं…। मैंने पिछली पोस्ट में राज ठाकरे के साथ अण्णा का फ़ोटो दिया था, वह यही इशारा देने के लिए दिया था, कि अण्णा का कोई भरोसा नहीं, ये रामदेव बाबा-भगवाधारियों-संघ-भाजपा का विरोध करते हैं, लेकिन राज ठाकरे की तारीफ़ करते हैं…। महाराष्ट्र में इनके विरोधी इन्हें "सुपारीबाज अनशनकारी" कहते हैं, तो निश्चित ही कोई मजबूत कारण होगा, जो कि जल्दी ही सामने आ जायेगा…
http://newshopper.sulekha.com/
अग्निवेश नामक “सेकुलर वामपंथी दलाल” को तो सभी लोग अच्छी तरह जानते हैं, इसलिये उसकी बात करना बेकार है…रही बात केजरीवाल और भूषणों की, वे भी जल्दी ही बेनकाब होंगे। रामदेव बाबा (यानी भगवाधारी) को "भ्रष्ट" और "कारोबारी" बताकर उनकी मुहिम का विरोध करने वाले, जल्दी ही सोच में पड़ने वाले हैं… :)
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