"सवाल यह नहीं है कि अन्ना RSS के
एजेंट हैं या सोनिया CIA की या दिग्विजय किसके दलाल हो कर मालामाल हैं या
प्रणब मुखर्जी किसकी बदौलत गोलमाल हैं. सभी जानते हैं कि मन मोहन सिंह को
हमने नहीं चुना फिर भी वह फर्जी पता दर्ज करवा कर अमेरिका के एजेंट बन कर
देश के प्रधान मंत्री हैं. सभी जानते हैं इधर शिखंडी और उधर पाखंडी हैं.
टीम आन्ना की NGO मार्का टीम में स्वनामधन्य परजीवी फंडभक्षी हैं जिसमें
त्रेता के खर-दूषण जैसे प्रतिभा संपन्न प्रशांत भूषण हैं, किरण बेदी हैं,
सुल्तानपुर में कोलेजों को अनुदान दिलाने के नाम पर मोटी रकम डकार चुके संजय सिंह हैं, कुछ पाखंडी और शिखंडी कवि हैं
तो
दूसरी ओर आसान किश्तों में तिहाड़ जेल जाता मनमोहन मंत्रीमंडल. सवाल यह भी
है कि टीम अन्ना हो या राम देव इन्हें सोनिया भ्रष्ट दिखती हैं मायाबती
ईमानदार ? पर अभी इन सवालों में नहीं उलझिए अभी तो सवाल है भ्रष्टाचार के
अचार से कैसे निपटने का कारगर नुश्खा तैयार हो और देश का विदेश में जा चुका
काला धन कैसे वापस आये. सोनिया -मनमोहन ने देश को दीवालिया बना दिया है.
प्रणव मुखर्जी कहते हैं कि अगर काला धन वालों के नाम उजागर हो गए तो दुनिया
के तमाम देश हमसे नाराज़ हो जायेंगे. सवाल यह भी है कि इनकी देश की जनता के
प्रति जवाबदेही है या अन्य देशों के प्रति ?
बहकावे
में मत आओ !! मत भूले कि भ्रष्टाचार से लड़ने का समय आ चुका है और इसके लिए
अन्ना एक कारगर औज़ार हैं. भ्रष्टाचार से जूझती जनता के लिए दधीची हैं
अन्ना. भ्रष्टाचार के शिखर पर बैठी इस सोनिया -मनमोहन सरकार की जवाबदेही
पहले है.

न इधर उधर की तू बात कर
ये बता कि कारवाँ क्यों लुटा
मुझे रहजनो से गिला नहीं
तेरी रहबरी का सवाल है."

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